Aishwarya Mohan Gahrana

Aishwarya Mohan Gahrana's Gahrana

स्वान्त सुखाय, सर्व जन
हिताय कुछ भी..

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  • Updated 4 Years Ago

टहलने वाली शामें

Updated 5 Years Ago

टहलने वाली शामें
शाम जब बसंती होने लगें और यह शाम दिल्ली को शाम नहीं हो तो टहलना बनता है| गुजरा ज़माना था एक, जब हर शाम टहलने निकल जाते थे| उस शामों में धुंध नहीं थी, न धूआँ था| हलवाई की भट्टी के बराबर से गुजरने पर …
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