रोज़ शाम आती थी मगर à¤à¤¸à¥€ ना थी रोज़ रोज़ घटा छाती थी मगर à¤à¤¸à¥€ ना थी ये आज मेरी ज़िंदगी मे कौन आ गया ~ मजरूह शाम à¤à¥€ थी धà¥à¤†à¤ धà¥à¤†à¤, ...
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