Ravindra ranjan

Ravindra Ranjan's My Letter

The Voice of Your Heart चिट्ठियां
करती हैं आपकी बात

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  • Updated 8 Months Ago

मेरी प्रिय, मैं अब हजार तरह के पाप, प्रायश्चित, गुनाह और दूरियां पचाने लगा हूं

Updated 4 Years Ago

मेरी प्रिय, मैं अब हजार तरह के पाप, प्रायश्चित, गुनाह और दूरियां पचाने लगा हूं
तुम ने भी तो एक गुनाह किया है. गुनाहों के देवता से प्यार करना गुनाह से कम है क्या. मैं तुम्हे वहीँ अपने किसी पाप को चबाता हुआ मिल जाऊँगा.
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