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Vivek Jain's Vivekjain1200

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  • Updated 5 Years Ago

ना राज़* है… “ज़िन्दगी”, ना नाराज़ है… “ज़िन्दगी”;

Updated 6 Years Ago

ना राज़* है… “ज़िन्दगी”, ना नाराज़ है… “ज़िन्दगी”;
*इस कविता को दो बार पढ़ने की इच्छा हुई😊😊* -कभी तानों में कटेगी, कभी तारीफों में; ये जिंदगी है यारों, पल पल घटेगी !! -पाने को कुछ नहीं, ले जाने को कुछ नहीं; फिर भी क्यों चिंता करते हो, इससे सिर्फ खूब…
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