फुर्सतनामा
https://youtu.be/yBeFB1WxHEo एक अंतराल के बाद आरम्भ... इस कविता के साथ... हाँ यही सच है... ...
4 Years Ago
“इश्क” भी “लिखना” चाहूँ तो “इन्कलाब” लिखा जाता है....
कसम “ विकिलीक्स ” कि भाई साब, जब से “ रागिनी ” के “ एमएमएस ” कि “ पंच लाइन ”, ...
10 Years Ago
रंगों के खत बांटता आया फागुन द्वार...
कसम “ बौराए ” “ फागुन ” कि भाई साब क्या नज़ारा है,जिसे देखो वही “ लाल-पीला ” हो...
10 Years Ago
जिस तरह चाहो बजाओ इस सभा में, हम नहीं है आदमी,हम झुनझुने है !!!
ना जाने क्यों भाई साब, आजकल “ मनवा ” रह रह कर “ अवमानना’ करने को “ लपक ” रहा ह...
10 Years Ago
इक इश्क शाहजहाँ के पैरलल
वो क्या है भाई साब कि, उम्र के इस उन्तीसवे दशहरे तक “ ख...
10 Years Ago
जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना कि अँधेरा धरा पर कही रह न जाये....
"खुशियाँ" मनाइए "भाई साब", "फेस्टिवल" "सीज़न" आ गया है ! चारो तरफ "आफर्स" कि "बहार" है...
11 Years Ago