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Dileep Tiwari's Dil Ki Kalam Se

चलो ज़रा वहाँ यादों के
अच्छे दाम मिलते है...

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  • Updated 10 Years Ago

भूख बढ़ती ही रही और ज़िंदगी नाटी रही...

Updated 10 Years Ago

झूठी आज़ादी की बस, इतनी ही परिपाटी रही... भूख बढ़ती ही रही और ज़िंदगी नाटी रही... जब सियासी दाँव, उनको खेलने का मन हुआ... गड्डिया लोगो...
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