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Dr. S.K. Sharma's Light Poetry

poems I write when I miss you.

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  • Updated 10 Years Ago

सिहरन

Updated 10 Years Ago

शाम के धुंधलके में जब, घर से बाहर निकलता हूँ ; देखता हूँ सड़क किनारे, चीथड़ों में सिमटी हुई साँसें ; माँ के आँचल से झाँकतीं, वो खामोश ऑंखें, ताकतीं हैं मेरी ओर ; मौन हैं पर, चुभो देतीं हैं हज़ारों …
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