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Anand Singh's Krantikari Geet

songs and poems of revolution.

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  • Updated 8 Years Ago

हबीब जालिब की नज़्म “कॉफ़ी-हाउस”

Updated 8 Years Ago

हबीब जालिब की नज़्म “कॉफ़ी-हाउस”
दिन-भर कॉफ़ी-हाउस में बैठे कुछ दुबले-पतले नक़्क़ाद* बहस यही करते रहते हैं सुस्त अदब की है रफ़्तार सिर्फ़ अदब के ग़म में ग़लताँ* च...
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