Neeraj Kumar

Neeraj Kumar's Probinglife

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  • Rated2.6/ 5
  • Updated 2 Years Ago

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कौन जाने कैसा हो आगे ये सफर !
 रात का पहर,  धुँधले चाँद का असर , मंज़िल दूर का शहर , रास्तों में रिसता सा क़हर , क...
2 Years Ago
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ज़िन्दगी खोती मिलती एक चीज़ हो गई...
  ज़िन्दगी खोती मिलती एक चीज़ हो गई, ज़िन्दगी रेत में मिलती तेहज़ीब हो गई , और कश्त...
3 Years Ago
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अंज़ाम सोच के कहाँ ...
अंज़ाम सोच के कहाँ ...
अंज़ाम सोच के कहाँ  आगाज़ की जाती है ज़िंदगी I टूट के, बिखर के हीं कई बार....
4 Years Ago
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क्या पता था की...
क्या पता था की...
क्या पता था की... ज़िंदगी किस्मत की परछाई है? क्या पता था की... ज़िंदगी दर्द क...
4 Years Ago
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इतना मत मुस्कुराओ यार...
इतना मत मुस्कुराओ यार...
इतना मत मुस्कुराओ यार, किसी के लबों ने सिर्फ़ आँसू ही पिए हैं I अपनी किस्म...
4 Years Ago
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तुझमें मुझमें ये अंतर था
तुझमें मुझमें ये अंतर था
तुझमें मुझमें ये अंतर था, की तेरा 'मैं' मुझसे बेहतर था, और मेरा 'भय' मुझमें नि...
4 Years Ago
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