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Rahil Mukesh's Confuseus Say

Stuff that I scribble in the back of my notebooks.

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  • Updated 10 Years Ago

ठाकुर साहब

Updated 11 Years Ago

दिसंबर का महिना था और दिल्ली हमेशा से भी ज़्यादा खूबसूरत हो चली थी | ‘स्नेह कुटिर’ की टेरेस पर सुबह कि नरम धूप की किरने दस्तक दे रहीं थीं और हर सुबह की तरह सफेद पयजामा-कुर्ता और मोटी ऐन…
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