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Laxmi N. Gupta's Kavyakala

Primarily my poems and prose pieces

  • Rated2.5/ 5
  • Updated 1 Year Ago

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जो दिल से न निकली हो
जो दिल से न निकली हो वो कविता नहीं होती जो जुदाई न झेल सके वो मोहब्बत नह...
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जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले
  कुछ दिन पूर्व मेरे प्रिय साले की मृत्यु का बाद मैं मनुष्य जीवन की क्षणभंगुर...
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अनहोने कृत्य
  कभी कभी मुझे लगता है कि हम कैसे विचित्र जग में रह रहे हैं आये दिन कोई पा...
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ज़िन्दादिली
  जो जनून जवानी में था वह अब नहीं है जीने का मज़ा कम है लेकिन जीने की चाह ...
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वायरस-नियंत्रण
सृष्टि के संचालन के लिये आवश्यक है विनाश इस अप्रिय कर्तव्य के नायक हैं ...
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थोथा स्वाभिमान
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