जो दिल से न निकली हो
जो दिल से न निकली हो वो कविता नहीं होती जो जुदाई न झेल सके वो मोहब्बत नह...
1 Year Ago
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले
कुछ दिन पूर्व मेरे प्रिय साले की मृत्यु का बाद मैं मनुष्य जीवन की क्षणभंगुर...
1 Year Ago
अनहोने कृत्य
कभी कभी मुझे लगता है कि हम कैसे विचित्र जग में रह रहे हैं आये दिन कोई पा...
1 Year Ago
ज़िन्दादिली
जो जनून जवानी में था वह अब नहीं है जीने का मज़ा कम है लेकिन जीने की चाह ...
1 Year Ago
वायरस-नियंत्रण
सृष्टि के संचालन के लिये आवश्यक है विनाश इस अप्रिय कर्तव्य के नायक हैं ...
1 Year Ago
थोथा स्वाभिमान
आ गया है ऐसा विचित्र ज़माना गांधी को गालियाँ और गोडसे को तालियाँ दे रहे...
2 Years Ago