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Laxmi N. Gupta's Kavyakala

Primarily my poems and prose pieces

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  • Updated 1 Year Ago

ज़िन्दगी

Updated 5 Years Ago

तुम नहीं आए कट गई ज़िन्दगी इन्तज़ार में कट गई ज़िन्दगी अब तुम्हारे आने न आने से कोई फर्क नहीं पड़ता अकेले अकेले ही कट गई ज़िन्दगी अब तो ढल ...
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