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Laxmi N. Gupta's Kavyakala

Primarily my poems and prose pieces

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  • Updated 1 Year Ago

दोस्त और दुश्मन

Updated 5 Years Ago

ज़ुल्मी ज़माने ने हमपे इतने ज़ुल्म ढ़ाए हैं दुश्मनों से हम गए सताए हैं दोस्तों से भी हम बाज़ आए हैं रिश्तेदारों ने भी हमपर ख़जर भोंके हैं ल...
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