L

Laxmi N. Gupta's Kavyakala

Primarily my poems and prose pieces

  • Rated2.5/ 5
  • Updated 1 Year Ago

मेरी पसंदीदा कव्वाली

Updated 5 Years Ago

कभी यहाँ तुम्हें ढूँढा, कभी वहाँ पहुँचा तुम्हारी दीद की ख़ातिर कहाँ-कहाँ पहुँचा ग़रीब मिट गए, पामाल हो गए लेकिन किसी तलक न तेरा आज तक नि...
Read More