Veerendra Shivhare

Veerendra Shivhare's Viransh - Vir Ki Kalam Se

वीर की कलम से वीर की
लिखी हुई ग ज़लों और
नज़्मों का संग्रह

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  • Updated 5 Years Ago

तराशा हुआ पत्थर हूँ • वीरांश | वीर की कलम से

Updated 9 Years Ago

तराशा हुआ पत्थर हूँ • वीरांश | वीर की कलम से
तराशा हुआ पत्थर हूँ, अब बस टूटना बाकी है, पुर्जे तो मेरे कर चुके हो, अब बस लूटना बाकी है| हर शक्स ईमारत ए सब्र के आखिरी छोर पर है, उम्मीद हार चुका है, अब बस कूदना बाकी है| तराशा हुआ पत्थर हूँ, अब बस टूटना बाकी है… राह में नज़र चुरा कर चले जाते …
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