हर पल कुछ नया करने की ज़िद अंदर से धाप देती रहती है, चलो जिन राहों से सब गिरे हैं एक दफा हम भी गिर कर देखें, हमारा देखने का नजरिया अलग सा है. उठूंगा गिरूंगा सम्भालूंगा और फिर "कर्मठ" पेश होगा एक नए रूप में - एक बेहतर रूप में, बस ज़िन्दगी से ये ही तो चाहिए ...... जुड़े रहिये _/\_ आपका अपना Vishal Karmath "कर्मठ"