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Ajanta Sharma's Ajantasharma

A blog of hindi Poetry by Ajanta Sharma

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तुमसे हीं : हिंदी कविता

Updated 14 Years Ago

तुमसे हीं : हिंदी कविता
तुमसे हीं अपने जीवन के उन क्षणों में मैं अदृश्य ही रही, अनावश्यक, अकारथ , बेजा विषयों की दासी बनकर. व्यर्थ रहकर काटती रही हर लम्हा अपनी एकट...
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