हबीब जालिब की नज़्म “कॉफ़ी-हाउस”
दिन-भर कॉफ़ी-हाउस में बैठे कुछ दुबले-पतले नक़्क़ाद* बहस यही करते रहते हैं ...
8 Years Ago
अल सल्वाडोर के क्रान्तिकारी कवि रोके दाल्तोन की कविता - तुम्हारी तरह
तुम्हारी तरह मैं भी प्यार करता हूँ प्यार से, ज़िन्दगी से, चीज़ों की भीनी-...
8 Years Ago
विजयी लोग - पाब्लो नेरूदा की कविता
मैं दिल से इस संघर्ष के साथ हूँ मेरे लोग जीतेंगे एक-एक कर सारे लोग जीतेंगे ...
9 Years Ago
जीना - नाज़िम हिकमत की कविता
जीना कोई हँसी-मजाक की चीज़ नहीं, तुम्हें इसे संजीदगी से लेना चाहिए। इतना ...
9 Years Ago
मेरे जूते को बचाकर रखना - गाज़ा नरसंहार पर एक मार्मिक कविता
गाज़ा में इज़रायली बमबारी से ढाये जा रहे क़हर की सबसे ह्रदय विदारक तस्वीरो...
9 Years Ago
मुक्तिबोध की कविता \'अँधेरे में\' का एक अंश
सब चुप, साहित्यिक चुप और कविजन निर्वाक् चिन्तक, शिल्पकार, नर्तक चुप हैं उनक...
9 Years Ago