Prakash Pankaj प्रकाश पंकज

Prakash Pankaj प्रकाश पंकज's Prakash Pankaj

बस अब इतनी विनती करता
हूँ – “हे ईश्वर अब कलम
न छूटे !”

  • Rated2.2/ 5
  • Updated 9 Years Ago

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“आवरण”मैं अभी एक खाली ऑटो में बैठा ही था। ऑटो वाला बाकी सवारियों का इन्तजार ...
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पतित-पावन पतरातूहर एक वो जगह जहाँ ट्रेन रुकती है, स्टेशन नहीं होता।उस औरत को ...
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रतियाँ कुहके कोयलिया, दिन मा उल्लू जागे
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रतियाँ कुहके कोयलिया, दिन मा उल्लू जागे,नीति-रीति सब बिसराए दुनिया भागे आगे...
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पाँव-फफोले देख-देख तू क्यों सकुचाए अधीर, आगे बढ़ कर देख मिलेगा – इस मरुथल का त...
12 Years Ago
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