Prakash Pankaj प्रकाश पंकज

Prakash Pankaj प्रकाश पंकज's Prakash Pankaj

बस अब इतनी विनती करता
हूँ – “हे ईश्वर अब कलम
न छूटे !”

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  • Updated 9 Years Ago

पतित-पावन पतरातू - (लघु कथा)

Updated 10 Years Ago

पतित-पावन पतरातू - (लघु कथा)
पतित-पावन पतरातूहर एक वो जगह जहाँ ट्रेन रुकती है, स्टेशन नहीं होता।उस औरत को यह मालूम न था।ट्रेन रूकती नहीं कि पूछ पड़ती -“कौना टेशन है बबुआ?”हर एक वो ट्रेन जो चलती है, पतरातू नहीं जाती।उस औरत को तो…
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