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Rajesh Ranjan's Samvedana

स्वरचित कविताओं का
संकलन। यह वर्डप्रेस पर
आतिथ्यित है

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  • Updated 10 Years Ago

कब

Updated 10 Years Ago

स्त्री हूँ मैं बहुत कुछ सोचना पड़ता है मुझे कब सोना है,कब उठना है । कब रोना है,कब हंसना है । कब टूटना है, कब जुड़ना है । कब प्यार करना है,कब धोखा खाना है । कब ‘बलत्कृत’ होना है,कब सांसें …
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