Shoma abhyankar

Shoma Abhyankar's Thinking Aloud

personal thoughts and poetry

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  • Updated 5 Years Ago

खतों के सिलसिले

Updated 6 Years Ago

  वो दिन भी क्या खूब हुआ करते थे खतों में दोस्तों से रूबरू हुआ करते थे खत भी हमारे अजीब ही होते थे लड़कपन के ऊलजलूल ख्वाबों से सजते थे यूँ ही हंसा जाते थे, तमाम बातें कह जाते थे कभी शिकायतें कर…
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