एक उदास और ख़ाली दौर में अज़ीज़ की आवाज़ सावन की तरह थी. सुनने वालों ने उनकी आवाज़ को गले तो लगाया मगर अज़ीज़ को उसका श्रेय नहीं दिया. अपनी लोकप्रियता के शिखर पर भी वो गायक बड़ा गायक नहीं माना गया जबकि उनके गाने की शास्त्रीयता कमाल की थी. अज़ीज़ गा नहीं सकने वालों के गायक थे. उनकी नक़ल करने वाले आपको कहीं भी मिल जाएंगे. उनकी आवाज़ दूर से आती लगती है. जैसे बहुत दूर से चली आ रही कोई आवाज़ क़रीब आती जा रही हो. कई बार वे क़रीब से दूर ले जाते थे.
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