Veerendra Shivhare

Veerendra Shivhare's Veerkikalamse

तुझे अपना कहूं तो किस
हक से वीर, तेरी साँसों
ने छीन ली जिंदिगी मेरी

  • Rated2.1/ 5
  • Updated 5 Years Ago

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वीरांश - मेरा पहला कविता संग्रह • वीरांश | वीर की कलम से
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वीरेंद्र शिवहरे, शायरी के लहजे में ‘वीर’ की शायरी अल्फ़ाज़ की सरहदों को पार कर...
5 Years Ago
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दरिया दिया और प्यासे रहे • वीरांश | वीर की कलम से
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दरिया दिया और प्यासे रहे, उम्र भर साथ अपने दिलासे रहे। जो थे वैसा रहने न दिया, ...
8 Years Ago
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मैं न कोई मसीहा न कोई रहनुमा हूँ • वीरांश | वीर की कलम से
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मैं न कोई मसीहा, न कोई रहनुमा हूँ, मैं अपनी आग हूँ, मैं अपना ही धुंआ हूँ। मुझे प...
8 Years Ago
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कभी घर नहीं आता.. • वीरांश | वीर की कलम से
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यहीं कहीं तो था.. अब नज़र नहीं आता, सिर्फ ठिकाने मिलते हैं, कभी घर नहीं आता । कैस...
8 Years Ago
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अच्छा लगता है... • वीरांश | वीर की कलम से
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तुम से दिल की हर बात कहना अच्छा लगता है, इस बेगानी दुनिया में तू मुझे अपना लगत...
9 Years Ago
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