Veerendra Shivhare

Veerendra Shivhare's Veerkikalamse

तुझे अपना कहूं तो किस
हक से वीर, तेरी साँसों
ने छीन ली जिंदिगी मेरी

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  • Updated 5 Years Ago

दरिया दिया और प्यासे रहे • वीरांश | वीर की कलम से

Updated 8 Years Ago

दरिया दिया और प्यासे रहे • वीरांश | वीर की कलम से
दरिया दिया और प्यासे रहे, उम्र भर साथ अपने दिलासे रहे। जो थे वैसा रहने न दिया, न सोना बने, न कांसे रहे। कब टिकती है अपने कहे पर, ज़ुबां ए जीस्त पर झांसे रहे। मुद्दतों कायम रहा अपना डेरा, हम जहाँ भी रहे, अच्छे खासे रहे। मुझमें क्या कुछ न बदला ‘वीर’, मगर ग़ैरों …
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