Veerendra Shivhare

Veerendra Shivhare's Veerkikalamse

तुझे अपना कहूं तो किस
हक से वीर, तेरी साँसों
ने छीन ली जिंदिगी मेरी

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  • Updated 5 Years Ago

इंतज़ाम • वीरांश | वीर की कलम से

Updated 9 Years Ago

इंतज़ाम • वीरांश | वीर की कलम से
मयखानों में शराबों का इंतज़ाम किजीये, हम पढ़ने आये हैं, आँखों का इंतज़ाम किजीये| मुझे ढूंढ रहा है मेरा माज़ी गलियों गलियों, ए मेरी हसरत ओ तमन्ना.. ठिकानों का इंतज़ाम किजीये| हम पढ़ने आये हैं, आँखों का इंतज़ाम किजीये… ये नींद एक रात की नहीं.. सदीयों की है, कब्र में जा रहा हूँ… ख़्वाबों का …
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