उस दौर के लेखकों में अकरम ‘इलाहाबादी’ , एमएल, पाडेय, तीरथराम ‘फीरोजपुरी’ पूर्व में मैं लिख न सका; भूलने जैसी बात नहीं, अनभिज्ञता थी। अकरम ‘इलाहाबादी’ का नाम हल्का-फुल्का तब जेहन में मेरे भी तैरा। नाॅवल (हिन्दी-उर्दू) इलाहाबाद के घण्टाघर से दाएं हाथ जाने वाली सड़क पर जीरो रोड़ के फुटपाथों पर लगी तरतीबवार नाॅवलों में सजी होती थी। गवाह हूं कि जीरो रोड फुटपाथों पर रूपबानी सिनेमा तक कुछ-कुछ फासले पर बीसों दूकाने थी।
Read More